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श्री महालक्ष्मी अष्टक ( Shri Mahalakshmi Ashtakam ) ( Shri Mahalaxmi Ashtakam )

 🔅🔅 श्री महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र 🔆🔆



 

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।

शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ १॥ 

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुर भयङ्करि ।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ २॥ 

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।

सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ३॥ 

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।

मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ४॥ 

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ५॥ 

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।

महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ६॥ 

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।

परमेशि जगन्मात: महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ७॥ 

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । 

जगत्स्थिते जगन्मात: महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ८॥


फलश्रुति :

 

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥ ९॥

 

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।

द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥ १०॥

 

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥ ११॥

 

       ॥ इति  इन्द्रकृतं श्रीमहालक्ष्मीस्तवम् ॥


- इस स्तोत्र का 11 सौ पाठ करने से यह सिद्ध होगा ! 10 हजार पाठ करने पर विशेष सिध्दि होती है ! धन से सम्बंधित समस्याओं का निराकरण होने लगता है ! सिध्द होने पर प्रतिदिन तीनों समय १-१ पाठ करना चाहिए !!    –  स्वामी रुपेश्वरानंद

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द्वारा - स्वामी रुपेश्वरानंद आश्रम 
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