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श्री #रुद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते है #भगवान #शिव SHRI #RUDRABHISHEK SE SHIGHRA PRASANNA HOTE HAI #BHAGVAN #SHIV

महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय है श्री रुद्राभिषेक ! शास्त्र अनुसार उत्तम समय पर श्री रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं क्योंकि भगवान शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है ! 

श्री रुद्राभिषेक की महिमा

- भगवान रुद्र श्री शिव जी का ही प्रचंड रूप हैं.
- शिव जी की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है.
-शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है.
- रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं.
- श्रावण मास में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है.
- रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है.

कौन से शिवलिंग पर करें रुद्राभिषेक?

- मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है.
- इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं.
- रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है.

अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल


- घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है.
- इक्षुरस से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है.
- शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.
- गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है.
- शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं.
- भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभि
षेक होता है.

रुद्राभिषेक कब होता है सबसे उत्तम?

कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं. 

- रुद्राभिषेक के लिए शिव वास देखना आवश्यक है.
- शिव जी का शिववास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें.

शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?

- हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
- हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
- कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं.
- शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं.
- कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं.
- शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं.
- रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है.

शिव जी का निवास कब अनिष्टकारी होता है?

शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है...

- कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
- शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
- कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
- शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
- कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
- शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
- कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं.
- शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं.
- इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है.

कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?

कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं. उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है...
- शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
- सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
- रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा मंगलकारी होते हैं.

शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी तो आपके मन में जैसी कामना हो वैसा ही रुद्राभिषेक करिए और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइए.


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